हमसफ़र खो गए
हमसफ़र
खो गए
ज़िन्दगी
की सुहानी सी वो रहगुज़र
साथ
साथ आ रहे थे मेरे वो मगर
आज
जाने हुआ क्या, मुझे छोड़ कर
हाथ
मुझ से छुड़ा कर वो गुम हो गए
मैं
भटकती रही जुस्तजू में यहाँ
और
रोती रहीं मेरी तन्हाइयाँ
पर
चट्टानों से टकरा के लौट आई जब
टूटते
दिल के टुकड़ों की ज़ख़्मी सदा
ज़िन्दगी
की सुहानी सी वो रहगुज़र
एक
तीराशबी का सफ़र हो गई
रौशनी
के सभी शहर गुम हो गए
और
मैं एक मुर्दा खंडर हो गई
ऐ
मेरे हमसफ़र
मेरी
खोई हुई राह के राहबर
देख
ले, मैं अकेली हूँ इस मोड़ पर
और
मेरे लिए आज हर इक सफ़र
इन
अँधेरों का लंबा सफ़र हो गया
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