अबके तो दिल पे तीर चला है कमाल का

एक सिलसिला अजीब है जारी क़िताल का
अबके तो दिल पे तीर चला है कमाल का

है दर्द लाजवाब, बदन टूटता है अब
दिल पर सुरूर छाया है अब तक विसाल का

ये रंग, ये निखार, ये ताबानियाँ, ये हुस्न
चेहरे पे अक्स पड़ता है उसके जमाल का

हो सकता है ज़मीन सिमट जाए इक जगह
रिश्ता जुनूब से जो बना है शुमाल का

मर्ज़ी है क्या नुजूम की, ख़ुर्शीद-ओ-माह की
मुमताज़ कुछ बता दे नतीजा तो फ़ाल का


क़िताल क़त्ल-ए-आम, विसाल मिलन, ताबानियाँ चमक, जमाल सुंदरता, जुनूब दक्षिण, शुमाल उत्तर, नुजूम सितारे, ख़ुर्शीद-ओ-माह सूरज और चाँद, फ़ाल भविष्यफल 

Comments

Popular posts from this blog

ज़ालिम के दिल को भी शाद नहीं करते