अजमेरी क़तए
अनवार से चमकती हैं रोज़े की जालियाँ अजमेर पर बरसती हैं ने ’ मत की बदलियाँ दिन रात बंट रहा है उतारा हुसैन का मंगते पसारे आए हैं हाजत की झोलियाँ निखरा है सुर्ख़ फूलों से ख़्वाजा का ये मज़ार ख़ुशबू से महका महका है सरकार का दयार वहदानियत का छाया है चारों तरफ ख़ुमार गाते हैं झूम झूम के ख़्वाजा के जाँ निसार ख़्वाजा पिया के रोज़े पे ज़ौ की बहार है दीदार हो गया है तो दिल को क़रार है हर ख़ास-ओ-आम लाया है नज़राना इश्क़ का सरकार ख़्वाजा जी पे ख़ुदाई निसार है ख़्वाजा पिया का इश्क़ असर मुझ पे कर गया तस्वीर-ए-ज़िन्दगी में धनक रंग भर गया ख़्वाजा पिया का नूर जो दिल में उतर गया नज़र-ए-करम से पल में मुक़द्दर सँवर गया हम को तो ख़्वाजा प्यारे की निस्बत से काम है सरकार ख़्वाजा जी का ज़माना ग़ुलाम है ऊँची है शान आप की आला मक़ाम है सारा जहाँ है मुक़्तदी ख़्वाजा इमाम है हम दास्तान-ए-ग़म जो पिया को सुनाएँगे आए हैं अश्क ले के ख़ुशी ले के जाएँगे देगा ख़ुदा मुराद जो ख़्वाजा दिलाएँगे अपनी मुराद हम तो इसी दर से पाएँगे ख़्वाजा के आस्ताने पे वहदत को नाज़ है है बेख़ुदी निसार अक़ीदत को नाज़ ह