मैं...
मैं मुमताज़ हूँ। मैं एक लेखिका , गायिका और पेंटर हूँ। हालाँकि गायकी अब मैं ने छोड़ दी है लेकिन लेखन और पेंटिंग मेरा जुनून हैं , जिन्हें हासिल करने के लिए मैं ने क्या क्या संघर्ष नहीं किया। कितनी ही बार क़लम मेरे हाथ से छूटा होगा , कितनी ही बार मेरे ख़याल मुझ से रूठे होंगे और कितनी ही बार मेरे ब्रुश मुझे अलविदा कह गए होंगे , और जब जब मेरी रचनात्मकता मुझ से रूठ गई , मेरा दम घुटने लगा और मैं उसे मनाने में जुट गई। ज़िन्दगी की राहें मेरे लिए कभी भी आसान नहीं थीं। जाने कितने पेच-ओ-ख़म थे इन राहों में , कैसे कैसे उतार चढ़ाव थे। ऐसा नहीं कि मेरी हिम्मत कभी टूटी नहीं , हिम्मत भी टूटी , बार बार इरादे भी कमजोर हुए लेकिन मेरे तख़्लीक़ी ज़हन ने मुझे ख़ुद को समेटने की और फिर उठ खड़ा होने की ताक़त दी। एक बात और बताऊँ ? कभी किसी बच्चे को देखना , कितना बेफ़िक्र , आत्मविश्वास से कैसा भरा हुआ। दुनिया की हर चीज़ को हैरत से देखता है , सब कुछ जानना चाहता है। छोटी छोटी बातों पर ख़ुश हो जाता है , अपनी हर ख़्वाहिश को पूरा कर के ही दम लेता है। हम सब जब अपनी ज़िन्दगी का सफ़र शुरू करते हैं तो हम वो बच्चा ही तो होते ह