है गराँ एक इक सवाल हमें
है गराँ एक इक सवाल हमें
सिर्फ वादों प अब न टाल हमें
फ़ैसला कुछ तो ज़िंदगानी का
इस कशाकश से अब निकाल हमें
मार डालें न ग़म ज़माने के
ऐ ग़म-ए-आशिक़ी संभाल हमें
इस लिए गुम हैं हम भी माज़ी में
रास आया कभी न हाल हमें
यूँ बिखरते रहे हैं हम पैहम
हर तबाही का है मलाल हमें
सीख पाए न इक तसन्नोअ हम
यूँ तो आते हैं सब कमाल हमें
हम हैं गोया कि रास्ता कोई
वक़्त करता है पायमाल हमें
तसन्नोअ – बनावट
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