दीवाना बना दे
जुनून
ऐसा कि हस्ती कमाल हो जाए
हर
एक साँस मेरी इक सवाल हो जाए
बेख़ुदी
की ये तलब हो
हिज्र
में जाँ ब लब हो
ऐसा
दीवाना बना दे
मुझे
अफ़साना बना दे
तेरी
तलब से परे तेरी राह से आगे
तलाश
मैं ने किया मेहर-ओ-माह से आगे
कहाँ
कहाँ ना मेरी बेख़ुदी पुकार आई
कोई
मिला ना तेरी जल्वागाह से आगे
ना
ख़बर है ना पता है
तू
सनम है कि ख़ुदा है
मुन्कशिफ़
कर दे हक़ीक़त
मुझे
फ़रज़ाना बना दे
जुनून
रक़्स करे ऐसा वज्द तारी हो
सूकून
जिसमें रहे ऐसी बेक़रारी हो
तड़पते
दिल पे मोहब्बत की ग़मगुसारी हो
जमाल-ए-यार
की ज़ौ पर निगाह वारी हो
जल्वा
जब ऐसा ग़ज़ब हो
फिर
कहाँ पास-ए-अदब हो
नश्शा
छाने दे बला का
जज़्बा
रिन्दाना बना दे
ये
किस मक़ाम पे लाई है आशिक़ी मुझ को
कि
नूर बन के मिली दिल की तीरगी मुझ को
बलन्दियों
का मुझे ऐसा इश्तियाक़ हुआ
कि
रास आ गई तूफ़ाँ की रहबरी मुझको
दिल
में इक शमअ जली है
इक
तजल्ली सी खिली है
चमक
उट्ठे ये ज़माना
नूर-ए-मस्ताना
बना दे
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