उस ने जब मुझ को मेरे जज़्बात वापस कर दिए
उस ने जब मुझ को मेरे जज़्बात वापस कर दिए
क्यूँ बताऊँ मैं, कि मैं हूँ ग़मज़दा उस के लिए
क्या कहा? इन हसरतों से आप का जी भर गया
हम भी अब इस खेल से तंग आ चुके हैं, जाइए
जाने कितनी धज्जियों में इस दफ़ा बिखरे हैं हम
दिल, जिगर, दामन, गरेबाँ, अब कोई क्या क्या
सिये
इश्क की ये आज़माइश आप के बस की नहीं
क़त्ल होने के लिए भी तो कलेजा चाहिए
तोड़ ही डाला न आख़िर ये खिलौना आप ने
खेलने के वास्ते अब दूसरा दिल लाइए
इस कहानी में नया पैवंद किस सूरत लगे
जाने कब के भर चुके हैं ज़िन्दगी के हाशिये
नफ़रतों की इन्तहा से इश्क़ के बहलाव तक
आरज़ू के कैसे कैसे इम्तेहाँ उस ने लिए
कुछ ख़बर "मुमताज़" तो हो कब तलक बर आएगी
एक हसरत के लिए आख़िर कोई कब तक जिए
जज़्बात- भावनाएं, ग़मज़दा- दुखी, हसरतों से- इच्छाओं
से, बर आएगी-
पूरी होगी
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