ऐ शोख़ नज़र
ऐ शोख़ नज़र , ऐ शोख़ अदा आँखों से मुझे पीने दे ज़रा इक राज़ छुपाया था दिल ने आँखों ने कहा , आँखों ने सुना तेरी चाँद जो देखे एक झलक तेरे हुस्न में वो भी खो जाए तू ज़ुल्फ़ अगर बिखरा दे ज़रा तो रात दीवानी हो जाए जब से तू चमन में आया है हर एक कली मुसकाई है तेरी शोख़ नज़र की गर्मी से चंदा की किरन शरमाई है तुझे ढूंढ रही है ठंडी हवा गुल पूछ रहे हैं तेरा पता ऐ शोख़ नज़र.............. बे ख़्वाब सी मेरी आँखों में ख़्वाबों की सुनहरी धूप खिली बल खा के तमन्ना जाग उठी साँसों में तेरी महकार घुली जीवन की अकेली राहों में सौ रंग बिखरते जाते हैं रंगीन हुआ है दिन का समां ख़ुशबू से महकती रातें हैं क़ुर्बान तेरे तक़दीर मेरी सदक़े मैं तेरे ऐ होशरुबा ऐ शोख़ नज़र.............