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रोए है , न तडपे है , न फ़रियाद करे है

रोए   है , न   तडपे   है , न   फ़रियाद   करे   है तन्हाई   की   बस्ती   ये   दिल   आबाद   करे   है हर   तार - ए - गरेबाँ सितम   ईजाद   करे   है अब   आम   जुनूँ   सब   मेरी   रूदाद   करे   है वहशत   का   हर   इक   लम्हा   तुझे   याद   करे   है तन्हाई   शब-ए - तीरा   की   फ़रियाद   करे   है रेज़े   ये   तबाही   के   कहाँ   तक   मैं   समेटूं ये   कौन   हमेशा   मुझे   बरबाद   करे   है हर   बार   फ़ना   हो   के   सिवा   होती   है   ख़्वाहिश क्या   हसरत   ए   नाकाम   भी   बेदाद   करे   है आज़ाद   किया   मैं   ने   तुझे   क़ैद   ए   वफ़ा   से वो   कितनी   अदा   से   ये   अब   इरशाद   करे   है   देती   है   हर   इक   लम्हा   तमन्ना   वो   अज़ीअत क्या   ऐसा   सितम   कोई   भी   जल्लाद   करे   है जाने   तुझे   एहसास   भी   होगा , कि   न   होगा अब   तक   तुझे   ' मुमताज़ ' ए   हज़ीं   याद   करे   है रेज़े = टुकड़े , तार = धज्जी , सितम = तकलीफ पहुंचाना , ईजाद = खोज , जुनूँ = पागलपन , रूदाद = कहानी , फ़ना = मिटना , हसरत ए नाकाम = न

दुनियादारी के सारे ढब आते हैं

दुनियादारी   के   सारे   ढब आते   हैं हम   को   भी   अब   सारे   करतब   आते   हैं लाज़िम   है   तालीम   भी   लेकिन   कुछ   बच्चे खाना   खाने   को   भी   मकतब   आते   हैं कब   से   टाले   वो   हम   को   ये   कह   कह   के आते   हैं ,   अब   आते   हैं ,   अब   आते   हैं कितनी   बातें   सुनना   चाहूँ   मैं ,   लेकिन आते   हैं   जब   वो ,   सी   कर   लब   आते   हैं मेरे   अन्दर   के   बहर - ए - ख़ामोशी   में कितने   तूफाँ   हर   दिन   या   रब   आते   हैं मोड़   कोई   क़िस्मत   फिर   लेने   वाली   है ख़्वाबों   में   अपने   अब   अक़रब आते   हैं बेज़ारी , बेदाद , जफ़ा ,   तर्क - ए - उल्फ़त उन   को   सब   बातों   के   मतलब   आते   हैं जागी   आँखों   का   मंज़र   भी   देख   ज़रा " ख़्वाबों   का   क्या   है , वो   हर   शब   आते   हैं " खिल   उठते   हैं   फूल   सुना   है   हर   जानिब वो   मौसम   ' मुमताज़ ' यहाँ   कब   आते   हैं دنیاداری   کے   سارے   ڈھب   آتے   ہیں ہم   کو   بھی   اب   سارے   کرتب