लेकिन
१. आबिदा देखा ? वही था न ? वही तो था वो पास से गुज़रा , मगर ऐसे कि देखा भी नहीं देखना कैसी सज़ा दूँगी मैं इस को , अब के आएगा मिलने तो मैं भी इसे देखूँगी नहीं देखना तू कि मैं इस से कभी बोलूंगी नहीं २. जाने वो कौन सी उलझन में घिरा होगा कल जब कि कल राह पे मुझ को भी न देखा उस ने जाने क्या ग़म है उसे कैसी कशाकश में है वो हाय! मर जाऊं कि मैं ने उसे पूछा भी नहीं काश ग़म उस के कलेजे में छुपा लेती मैं अब वो मिलता तो उसे दिल से लगा लेती मैं ३. ऐसा लगता है किसी और का हो बैठा है वो इसलिए उस ने मुझे राह में देखा भी नहीं मुझ को मालूम था ऐसी ही है ये मर्द की ज़ात कैसे हँस हँस के पड़ोसन से किये जाता था बात और कहता है , मैं बेवजह का शक करती हूँ ? उस पे इलज़ाम बिला वजह के मैं धरती हूँ ४. देखना तू कि मैं उस से न कभी बोलूंगी लाख समझाए मगर कुछ न सुनूंगी मैं भी इक जहाँ उस ने नया अपना बनाया है अगर सात रंगों के कई ख़्वाब बुनूँगी मैं भी ५. आज का वादा था लेकिन नहीं आया अब तक जाने क्या बात है क्यूँ उस ने बदल लीं नज़रें एक ख़त लिक्खूं उस