दुलहन रात दिवाली की
डाल सियह ज़ुल्फ़ों में अफ़शाँ दुलहन रात दिवाली की
लाई दिलों में लाखों ख़ुशियाँ रौशन रात दिवाली की
दीपशिखाओं की अठखेली, हँसती हुई आतिशबाज़ी
आग की लौ से खेल रही है बैरन रात दिवाली की
फैला है इक रंग सुनहरा आसमान की कालिख पर
तारीकी ने नूर की ओढ़ी चिलमन रात दिवाली की
नक़्क़ाशी से झाँक रहा है हुनर हिनाई हाथों का
बिखरे रंग न जाने कितने आँगन रात दिवाली की
आँखों की गहराई परेशाँ, ज़ुल्फ़ों की नागन ख़ामोश
ताश के पत्तों में उलझे हैं साजन रात दिवाली की
छोटे घर के छोटे लोगों की छोटी सी ख़ुशियाँ हैं
रामकली ले कर आई है उतरन रात दिवाली की
गुड़िया की शादी का ख़र्चा, गुड्डू के कालेज की फ़ीस
छोड़ो यार, हटाओ
सारे टेंशन रात दिवाली की
आज की शब कर कोई करिश्मा, ऐ रब, ऐ अल्लाह मेरे
लौटा दे "मुमताज़" हमारा
बचपन रात दिवाली की
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