नारसा ठहरीं दुआएँ इस दिल-ए-नाकाम की
नारसा
ठहरीं दुआएँ इस दिल-ए-नाकाम की
डूबती
ही जा रही है नब्ज़ तश्नाकाम की
ये
तड़प, ये दर्द, ये नाकामियाँ, ये उलझनें
कोई
भी सूरत नज़र आती नहीं आराम की
सारे
आलम की तबाही एक इस उल्फ़त में है
कोई
तो आख़िर दवा हो इस ख़याल-ए-ख़ाम की
छीन
ली बीनाई मेरी एक इस ज़िद ने कि फिर
देखा
कुछ हमने न कुछ परवाह की अंजाम की
कोशिशें
नाकाम सारी, हर तमन्ना तश्नालब
हम
पे पैहम है इनायत गर्दिश-ए-अय्याम की
हैफ़, क़िस्मत के इरादे किस
क़दर बरबादकुन
इसने
हर तदबीर मेरी आज तक नाकाम की
एक
अदना सी तमन्ना, इक मोहब्बत का सफ़र
ज़िन्दगी
की ये मुसाफ़त थी फ़क़त दो गाम की
थम
गई “मुमताज़” वो धड़कन तो हस्ती चुक गई
एक
धड़कन वो जो थी जानम तुम्हारे नाम की
तश्नाकाम
–
प्यासा, ख़याल-ए-ख़ाम – झूठा ख़याल, पैहम – लगातार, अय्याम – दिन, हैफ़ – आश्चर्य है
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