जो मुन्तज़िर हैं उम्मीदें , उन्हें बताया जाय
जो मुन्तज़िर हैं उम्मीदें , उन्हें बताया जाय ये जलता शहर ए वफ़ा किस तरह बचाया जाय सजाओ लाख तबस्सुम , मगर नुमायाँ रहे जिगर का दाग़ भला कैसे अब छुपाया जाय जो कायनात ए दिल ओ जाँ को ज़ेर ओ बम कर दे कुछ इस तरह से कोई हश्र अब उठाया जाय मकान ए दिल के सभी रोज़न ओ दर बंद करो अब आरज़ू को यूँ ही दर ब दर फिराया जाय अजीब सी ये कशाकश है दिल की राहों में " के आगे जा न सकूं लौट कर न आया जाय " मैं हँसना चाहूँ तो ये छीन ले ...