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इस अदा से गूँजता है नारा ए रिन्दाना आज

इस   अदा   से   गूँजता   है   नारा   ए   रिन्दाना   आज वज्द   में   आया   है   साक़ी , झूम   उठा   मैख़ाना आज चूम   लेती   है   लपक   कर   शमअ   की   लौ   बारहा मौत   के   आहंग   पर   रक़्साँ   है   फिर   परवाना   आज फिर   ख़िरद जोश - ए - जुनूँ के   बढ़   के   चूमेगी   क़दम अर्श   को   भी   तोड़   देगा   नारा   ए   मस्ताना   आज वुसअतें सब   ज़ात   की   यकजा   हुईं   तो   यूँ   हुआ अपने   हर   इक   ज़ाविये   को   मैं   ने   भी   पहचाना   आज चूर   होती   हैं   लरज़   कर   जिस   से   सब   दुश्वारियाँ हिम्मत   ए   निस्वाँ में   आई   क़ुव्वत ए   मर्दाना   आज वहशत   ए   तन्हाई ...

रात -दिन , सा'अत ओ लम्हात बदल जाते हैं

रात - दिन , सा ' अत   ओ   लम्हात   बदल   जाते   हैं शहर   तो   शहर   ख़राबात बदल   जाते   हैं हम   ने   देखे   हैं   कई   ऐसे   अदाकार   मियां ताड़   कर   रुख़   जो   हर   इक   बात   बदल   जाते   हैं बात   क्या   कीजिये   इन्सां के   बदल   जाने   की जब   के   इंजील   व   तौरात   बदल   जाते   हैं सब   क़यामत   के   हैं   आसार , ख़ुदा ख़ैर   करे आज   के   दौर   में   सादात   बदल   जाते   हैं वक़्त   के   साथ   बदलता   है   बशर   का   मौसम यूँ   भी   आदाब   ए मदारात   बदल   जाते   हैं वक़्त   पहचान   करा   देता   है   कुछ   लोगों   की बात   रह   जाती   है   हालात   बदल...