नज़्म - बाज़ार



यहाँ हर चीज़ बिकती है
कहो क्या क्या ख़रीदोगे
یہاں ہر چیز بکتی ہے
کہو کیا کیا خریدوگے

यहाँ पर मंसब-ओ-मेराज की बिकती हैं ज़ंजीरें
अना को काट देती हैं ग़ुरूर-ओ-ज़र की शमशीरें
यहाँ बिकता है तख़्त-ओ-ताज बिकता है मुक़द्दर भी
ये वो बाज़ार है बिक जाते हैं इस में सिकंदर भी
यहाँ बिकती है ख़ामोशी भी, लफ़्फ़ाज़ी भी बिकती है
ज़मीर-ए-बेनवा की हाँ अना साज़ी भी बिकती है
یہاں پر منصب و معراج کی بکتی ہیں زنجیریں
انا کو کاٹ دیتی ہیں غرور و زر کی شمشیری
یہاں بکتا ہے تخت و تاج بکتا ہے مقدر بھی
یہ وہ بازار ہے، بک جاتے ہیں اس میں سکندر بھی
یہاں بکتی ہے خاموشی بھی، لفاظی بھی بکتی ہے
ضمیرِ بے نوا کی ہاں انا سازی بھی بکتی ہے

दुकानें हैं सजी देखो यहाँ पर हिर्स-ओ-हसरत की
हर इक शै मिलती है हर क़िस्म की, हर एक क़ीमत की
यहाँ ऐज़ाज़ बिकता है, यहाँ हर राज़ बिकता है
यहाँ पर हुस्न बिकता है, अदा-ओ-नाज़ बिकता है
सुख़न बिकता है, बिक जाती है शायर की ज़रुरत भी
यहाँ बिकती है फ़नकारी, यहाँ बिकती है शोहरत भी
यहाँ पर ख़ून-ए-नाहक़ बिकता है, बिकती हैं लाशें भी
यहाँ बिकती हैं तन मन पर पड़ी ताज़ा खराशें भी
यहाँ नीलाम हो जाती है बेवाओं की मजबूरी
यहाँ बीनाई बिकती है, यहाँ बिकती है माज़ूरी
लहू बिकता है, बिकते हैं यहाँ अअज़ा-ए-इंसानी
यहाँ बिकते हैं दो दो पैसों में जज़्बात-ए-निस्वानी
मोहब्बत, जज्बा-ओ-हसरत, सभी नीलाम होते हैं
इनायत, उन्स, और रग़बत, सभी नीलाम होते हैं
دوکانیں ہیں سجی دیکھو یہاں پر حرص و حسرت کی
ہر اک شے بکتی ہے ہر قصم کی ہر ایک قیمت کی
یہاں اعزاز بکتا ہے یہاں ہر راز بکتا ہے
یہاں پر حسن بکتا ہے ادا و ناز بکتا ہے
سخن بکتا ہے بک جاتی ہے شاعر کی ضرورت بھی
یہاں بکتی ہے فنکاری یہاں بکتی ہے شہرت بھی
یہاں پر خونِ ناحق بکتا ہے بکتی ہیں لاشیں بھی
یہاں بکتی ہیں تن من پر پڑی تازہ خراشیں بھی
یہاں نیلام ہو جاتی ہے بیواؤں کی مجبوری
یہاں بکتی ہے بینائی، یہاں بکتی ہے معذوری
لہو بکتا ہے بکتے ہیں یہاں اعضا ۓ انسانی
یہاں بکتے ہیں دو دو پیسوں میں جذباتِ نسوانی
محبت جذبہ و حسرت سبھی نیلام ہوتے ہیں
عنایت انس اور رغبت سبھی نیلام ہوتے ہیں

अगर बिकता नहीं कुछ, तो यहाँ इन्सां नहीं बिकता
यहाँ एहसाँ नहीं बिकता, यहाँ ईमां नहीं बिकता
दिल-ओ-अर्वाह के टुकड़ों की क़ीमत कुछ नहीं होती
वफ़ा की, आह की, अश्कों की क़ीमत कुछ नहीं होती
यहाँ मासूम ख़्वाबों को नहीं मिलती हैं ताबीरें
यहाँ पर सर पटकती फिरती हैं मुफ़्लिस की तदबीरें
है ये बाज़ार इक ज़िन्दाँ,  दुकानें क़त्लख़ाने हैं
यहाँ हर फ़िक्र क़ैदी है, यहाँ मुर्दा ज़बानें हैं
اگر بکتا نہیں کچھ تو یہاں انساں نہیں بکتا
یہاں احساں نہیں بکتا یہاں ایماں نہیں بکتا
دل و ارواح کے ٹکڑوں کی قیمت کچھ نہیں ہوتی
وفا کی، آہ کی، اشکوں کی قیمت کچھ نہیں ہوتی
یہاں معصوم خوابوں کو نہیں ملتی ہیں تعبیریں
یہاں پر سر پٹکتی پھرتی ہیں مفلس کی تدبیریں
ہے یہ بازار اک زنداں، دوکانیں قتل خانے ہیں
یہاں ہر فکر قیدی ہے، یہاں مردہ زبانیں ہیں

हैं इस बाज़ार के क़ैदी, ख़रीदार और ताजिर सब
यहाँ क़ैदी हैं दीदावर, यहाँ क़ैदी मुशाहिर सब
यहाँ हर एक सौदे में हैं कितने राज़ पोशीदा
यहाँ महूर हो जाते हैं ज़हन-ओ-दिल, लब-ओ-दीदा
ہیں اس بازار کے قیدی خریدار اور تاجر سب
یہاں قیدی ہیں دیدہ ور یہاں قیدی مشاہیر سب
یہاں ہر ایک سودے میں ہیں کتنے راز پوشیدہ
یہاں مسحور ہو جاتے ہیں ذہن و دل لب و دیدہ

है ये बाज़ार इक जादू की नगरी
इक छलावा है
यहाँ कुछ भी नहीं बिकता
यहाँ बस वहम बिकता है
कहो जी,
क्या ख़रीदोगे?  
ہے یہ بازار اک جادو کی نگری
اک چھلاوا ہے
یہاں کچھ بھی نہیں بکتا
یہاں بس وہم بکتا ہے
کہو جی، کیا خریدوگے؟

मंसब-ओ-मेराज – पद और बुलंदी, अनाअहं, ग़ुरूर-ओ-ज़र – घमंड और धन, शमशीरें – तलवारें, बेनवाजो बात न कर सके, हिर्स-ओ-हसरत – लालच और इच्छा, ऐज़ाज़ – सम्मान, सुख़न – बातें, बीनाई – दृष्टि, माज़ूरी – अपाहिज पन,अज़ा-ए-इंसानी – इंसानी अंग, जज़्बात-ए-निस्वानीऔरत के जज़्बात, इनायत मेहरबानी, उन्स – प्यार, रग़बत – लगाव, अर्वाह – रूहें, ज़िन्दाँ – कारागार, ताजिर – व्यापारी, दीदावरदेखने वाले, मुशाहिर – दिखाने वाले, पोशीदा – छुपे हुए, हूर – जिस पर जादू किया गया हो, लब-ओ-दीदा – होंट और आँखें

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