जब मिला हम से, सज़ा वो ही पुरानी दे गया


जब मिला हम से, सज़ा वो ही पुरानी दे गया
दिल को दर्द-ए-बेकराँ, आँखों को पानी दे गया
جب ملا ہم سے، سزا وہ ہی پرانی دے گیا
دل کو دردِ بیکراں، آنکھوں کو پانی دے گیا

जाने किन नज़रों से उस ने आज देखा था मुझे
बेनवा जज़्बात को गहरे मआनी दे गया
جانے کِن نظروں سے اس نے آج دیکھا تھا مجھے
بےنوا جذبات کو گہرے معانی دے گیا

गो ज़ुबां ख़ामोश थी, फिर भी कई बातें हुईं
बेज़ुबां आँखों को वो  सादा  बयानी दे गया
گو زباں خاموش تھی، پھر بھی کئی باتیں ہوئیں
بے زباں آنکھوں کو وہ سادہ بیانی دے گیا

नाम अपना लिख गय़ा है वो किताब-ए-ज़ीस्त पर
आज वो क़रतास-ए-दिल को इक कहानी दे गया
نام اپنا لکھ گیا ہے وہ کتابِ زیست پر
آج وہ قرطاسِ دل کو اک کہانی دے گیا

कोंपलेँ फिर फूट आईं, फिर बहार आने को है
संगलाख़-ए-दिल को इक चादर वो धानी दे गया
کونپلیں پھر پھوٹ آئیں، پھر بہار آنے کو ہے
سنگلاخِ دل کو اک چادر وہ دھانی دے گیا

गुनगुनाती आरज़ू को पंख बख़्शे, और फिर
आँख को सपने, तमन्ना को जवानी दे गया
گنگناتی آرزو کو پنکھ بخشے، اور پھر
آنکھ کو سپنے، تمنا کو جوانی دے گیا

उस की ख़ुश्बू से मोअत्तर हो गए ख़्वाब-ओ-ख़याल
तनहा रातों को महकती रातरानी दे गया
اس کی خوشبو سے معطر ہو گئے خواب و خیال
تنیا راتوں کو مہکتی رات رانی دے گیا

जल उठीं बेख़्वाब रातें, लुट गया सब्र-ओ-सुकूँ
रूह को 'मुमताज़' क्या आतिशफ़िशानी दे गया
جل اٹھیں بےخواب راتیں، لُت گیا صبر و سکوں
روح کو ممتازؔ کیا آتش فشانی دے گیا

बेकराँ – अनंत, बेनवा – मूक, मआनी – अर्थ, गो – हालाँकि, बेज़ुबां – मूक, सादा बयानी – सीधी बात करना, किताब-ए-जीस्त – ज़िंदगी की किताब, क़रतास-ए-दिल – दिल का काग़ज़, संगलाख़ – पथरीली ज़मीन, मोअत्तर – ख़ुशबूदार, बेख़्वाब – बिना नींद की, सब्र-ओ-सुकूँ – संतोष और चैन, आतिशफ़िशानी – आग बरसाना

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