न जाने किस का ये दिल इंतज़ार करता है


हर एक शब जो सितारे शुमार करता है
न जाने किस का ये दिल इंतज़ार करता है

जो नोच लेता है शाख़ों से बाग़बाँ कलियाँ
तड़प के आह-ओ-बुका ख़ार ख़ार करता है

हमें यक़ीं है जो मेहनत की कारसाज़ी पर
नसीब अपनी ख़ुशामद हज़ार करता है

जले नहीं हैं जो घर उन को ये ख़बर कर दो
हेरास का भी कोई कारोबार करता है

हमेशा जागता रहता है मेरा ज़ेहन कि ये
फ़रेब-ए-दिल से मुझे करता है

जफ़ा शआर है “मुमताज़” मतलबी दुनिया
वफ़ा का कौन यहाँ ऐतबार करता है
शुमार करता है-गिनता है, आह-ओ-बुका-रोना चिल्लाना, ख़ार-काँटा, हेरास-डर, आशकार-आगाह, जफ़ा शआर-जिस का दस्तूर बेवाफ़ाई हो


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