क्या मिला तश्नालबी से, आजिज़ी से क्या मिला


क्या मिला तश्नालबी से, आजिज़ी से क्या मिला
औरतों को ख़ल्क़ की इस महवरी से क्या मिला
کیا ملا تشنہ لبی سے عاجزی سے کیا ملا
عورتوں کو خلق کی اس مہوری سے کیا ملا

हुस्न-ए-लामहदूद की इक बेनियाज़ी के सिवा
आशिक़ी से क्या मिला है, बन्दगी से क्या मिला
حسنِ لامحدود کی اک بےنیازی کے سوا
عاشقی سے کیا ملا ہے، بندگی سے کیا ملا

कोई क्यूँ सुनता हमारी बेज़ुबानी की सदा
इक घुटन है, और हम को ख़ामुशी से क्या मिला
کوئی کیوں سنتا ہماری بےزبانی کی صدا
اک گھٹن ہے، اور ہم کو خامشی سے کیا ملا

झूठ, ख़ूँरेज़ी, तमाशा, तल्ख़ियाँ, बदकारियाँ
क्या कहें, इंसानियत को इस सदी से क्या मिला
جھوٹ، خوں ریزی، تماشہ، تلخیاں، بدکاریاں
کیا کہیں، انسانیت کو اس صدی سے کیا ملا

लूट कर सारा ख़ज़ाना इस को बंजर कर दिया
इस ज़मीं को देख लीजे, आदमी से क्या मिला
لوٹ کر سارا خزانہ اس کو بنجر کر دیا
اس زمیں کو دیکھ لیجے آدمی سے کیا ملا

रेगज़ारों से लिपटते आबले सुलगा किए
ज़िन्दगी, तुझ को तेरी आवारगी से क्या मिला
ریگزاروں سے لپٹتے آبلے سلگا کئے
زندگی، تجھ کو تری آوارگی سے کیا ملا

दम ब दम हर एक टुकड़ा करता है अब ये सवाल
दिल, बता, तुझ को वफ़ा की हमरही से क्या मिला
دم بہ دم ہر ایک ٹکڑا کرتا ہے اب یہ سوال
دل بتا، تجھ کو وفا کی ہمرہی سے کیا ملا

हम ने फ़ुरसत ही कहाँ पाई कि कुछ कर लें हिसाब
कौन जाने, उम्र भर की रहरवी से क्या मिला
ہم نے فرصت ہی کہاں پائی کہ کچھ کر لیں حساب
کون جانے عمر بھر کی رہروی سے کیا ملا

रेज़ा रेज़ा टूट कर मुमताज़ बिखरा है वजूद
ऐ तमन्ना, तुझ को तेरी साहिरी से क्या मिला
ریزہ ریزہ ٹوٹ کر ممتازؔ بکھرا ہے وجود
ائے تمنا، تجھ کو تیری ساحری سے کیا ملا

तश्नालबी – प्यास, आजिज़ी  - दीनता, ख़ल्क़ – रचना, महवरी केन्द्र होना, हुस्न-ए-लामहदूद – असीमित सुंदरता, बेनियाज़ी – बेपरवाई, बन्दगी – पूजा, रेगज़ारों – रेगिस्तानों, आबले – छाले, हमरही – साथ, रहरवी – सफ़र, रेज़ा रेज़ा – कण-कण, तमन्ना – इच्छा, साहिरी – जादूगरी

Comments

Popular posts from this blog

ज़ालिम के दिल को भी शाद नहीं करते