मे'राज की जानिब ये सफ़र किस के लिए है
मे'राज की जानिब ये सफ़र किस के लिए है
अफ़लाक की दीवार में दर किस के लिए है
कौसर की ये शफ़्फ़ाफ़ नहर किस के लिए है
महशर में शफ़ाअत की ख़बर किस के लिए है
किस नूर के क़दमों में बिछे हैं ये सितारे
ताबानी-ए-ख़ुर्शीद-ओ-क़मर किस के लिए है
अल्लाह की रहमत प जो कामिल है यक़ीं तो
फिर सदफ़-ए-निगह में ये गोहर किस के लिए है
बख़्शी है हमें रब ने ये अनमोल विरासत
क़ुरआन के जैसा वो बशर किस के लिए है
है कौन तलबगार तेरा अर्श-ए-बरीं पर
"ऐ नर्गिस-ए-जानाँ ये नज़र किस के लिए है"
ये फ़र्श-ओ-फ़लक,
नज्म-ओ-क़मर, हूर-ओ-मलाइक
सब कुछ तो है 'मुमताज़',
मगर किस के लिए है
ME'RAAJ KI JAANIB YE
SAFAR KIS KE LIYE HAI
AFLAAK KI DIWAAR ME'N
DAR KIS KE LIYE HAI
KAUSAR KI YE SHAFFAF
NAHR KIS KE LIYE HAI
MAHSHAR ME'N
SHAFAA'AT KI KHABAR KIS KE LIYE HAI
KIS NOOR KE QADMO'N
ME'N BICHHE HAI'N YE SITAARE
TAABAANI E KHURSHEED
O QAMAR KIS KE LIYE HAI
ALLAH KI REHMAT PA JO
KAAMIL HAI YAQEE'N TO
PHIR SADAF E NIGAH
ME'N YE GOHAR KIS KE LIYE HAI
BAKHSHI HAI HAME'N
RAB NE YE ANMOL WIRAASAT
QUR'AAN KE JAISA WO
BASHAR KIS KE LIYE HAI
HAI KAUN TALABGAAR
TERA ARSH E BAREE'N PAR
"AE NARGIS E
JANAA'N YE NAZAR KIS KE LIYE HAI"
YE FARSH O FALAK,
NAJM O QAMAR, HOOR O MALAAIK
SAB KUCHH TO HAI
'MUMTAZ', MAGAR KIS KE LIYE HAI
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