दुनिया की हम को फ़िक्र, न सूद ओ ज़ियाँ की है
दुनिया की हम को फ़िक्र, न सूद ओ ज़ियाँ की है
हम को तो बस तलाश तेरे आस्तां की है
झटके में जिस ने तोड़ी है ज़ंजीर पाँव की
ये जुरअत ए निजात इसी नातवाँ की है
जिस की शिकस्ता पाई को ठुकरा गए थे तुम
अब क्यूँ तुम्हें तलाश उसी बेनिशाँ की है
फूँका जो बर्क़-ए-वहम ने , गुलशन वफ़ा का था
जो ख़ाक बच गई है , मेरे आशियाँ की है
कहते हैं दिल की बात इशारों में हम भी यूँ
फ़रियाद है फ़लाँ की , शिकायत फ़लाँ की है
सरहद यहीं तलक है दयार ए यक़ीन की
मंज़िल फिर इस के बाद तो वहम ओ गुमाँ की है
जोश ए जूनून होश में आने लगा है फिर
'मुमताज़
' अब संभल , के घडी इम्तेहाँ की है
دنیا کی ہم
کو فکر نہ صود
و ضیاں
کی ہے
ہم
کو تو بس
تلاش ترے آستاں
کی ہے
جھٹکے
میں جس نے توڑی ہے
زنجیر پاؤں کی
یہ
جرات_ نجات اسی ناتواں
کی ہے
جس کی شکستہ پائی
کو ٹھکرا گئے
تھے تم
اب کیوں تمہیں
تلاش اسی بےنشاں
کی ہے
پھونکا
جو برق_ وہم نے , گلشن
وفا کا تھا
جو
خاک بچ گئی ہے
, مرے آشیاں کی ہے
کہتے ہیں دل کی بات
اشاروں میں ہم بھی یوں
فریاد
ہے فلاں کی , شکایت
فلاں کی ہے
سرحد یہیں تلک ہے دیار_ یقین
کی
منزل
پھر اس کے
بعد تو وہم
و گماں کی ہے
جوش_ جنون
ہوش میں آنے
لگا ہے پھر
'ممتاز ' اب سمبھل ,
کہ گھڑی
امتحاں کی ہے
Comments
Post a Comment