कई रंगीन सपने हैं, कई पैकर ख़याली हैं
कई रंगीन सपने
हैं, कई पैकर ख़याली हैं
मगर देखें, तो हाथ अपने हर इक हसरत से ख़ाली हैं
चलो देखें, हक़ीक़त रंग
इन में कैसे
भरती है
तसव्वर में हजारों
हम ने तस्वीरें बना ली हैं
मोहब्बत का दफ़ीना
जाने किस जानिब है पोशीदा
हजारों बार हम ने
दिल की जागीरें
खंगाली हैं
कहाँ रक्खें इन्हें, इस चोर क़िस्मत से बचा कर अब
गुजरते वक़्त से
दो चार जो ख़ुशियाँ
चुरा ली हैं
परस्तिश आँधियों की अब हर
इक सूरत ज़रूरी है
तमन्नाओं की फिर इक
बार जो शमएँ जला ली हैं
हवा भी आ न पाए अब
कभी इस ओर माज़ी की
कि अपने दिल
के चारों सिम्त
दीवारें उठा ली हैं
बड़ा चर्चा है
रहमत का, तो देखें, अब अता क्या हो
मुक़द्दरसाज़ के दर पर तमन्नाएँ सवाली हैं
ज़रा सा चूक जाते हम
तो ये हस्ती बिखर जाती
बड़े मोहतात हो
कर हम ने ये किरचें
संभाली हैं
उम्मीदें हम को बहलाती
रहीं लेकिन यही
सच है
अभी तक तार है दामन, अभी तक हाथ ख़ाली हैँ
गिला “मुमताज़” अब क्यूँ है
कि फ़ित्ने सर उठाते हैं
जहाँ में हम ने
ही नफ़रत की
बुनियादें भी डाली हैं
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