करवट करवट जलता होगा
करवट करवट जलता होगा
वो भी क्या सो पाया होगा
मेरे बिना अब तन्हा होगा
वो भी शायद रोया होगा
रात गए जब तन्हा होगा
याद तो मुझ को करता होगा
उलझन में मेरे बारे में
जाने क्या क्या सोचा होगा
शाम को सूरज डूबेगा तो
उस का दिल भी डूबा होगा
उम्र तो कट जाएगी लेकिन
लम्हा लम्हा प्यासा होगा
अब भी मैं सोचा करती हूँ
जाने अब वो कैसा होगा
हम ख़ुद ही “मुमताज़” मिटे हैं
किस्मत से क्यूँ शिकवा होगा
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