एक पुरानी हम्द - अल्लाहू हक़ अल्लाहू
हम्द के लायक़ तेरी ही ज़ात
दुनिया पे ज़ाहिर तेरी सिफ़ात
वह्दहू ला शरीक लहू
अल्लाहू हक़ अल्लाहू
कुल आलम-ए-जहाँ में तेरी ही रंग-ओ-बू है
हर डाल ख़ुशनुमा है, हर फूल सुर्ख़रू है
ख़ुर्शीद-ओ-माह रौशन तेरी ही रौशनी से
पाया वजूद सबने तेरी मुसव्विरी से
तेरा ज़िक्र है मेरी हयात
सजदे में दिल है दिन रात
वह्दहू ला शरीक लहू
अल्लाहू हक़ अल्लाहू
चाहत न सीम-ओ-ज़र की चाहूँ न तख़्त-ए-शाही
चाहूँ मैं तेरी क़ुर्बत, तेरी रज़ा इलाही
तेरे सिवा किसी पर मुझ
को नहीं भरोसा
तेरे हुस्न की हूँ आशिक़
तेरी राह की हूँ राही
तेरा अक्स जब इतना हसीं
क्या हो बयाँ तेरी दीद
की बात
वह्दहू ला शरीक लहू
अल्लाहू हक़ अल्लाहू
कोई कहे कि तेरी है ज़ात
सब से आला
कोई कहे कि तेरा मस्कन
है ये शिवाला
किस बात का है झगड़ा, किस बात पर बहस है
कण कण में तेरा जल्वा, तेरा हर जगह उजाला
रज़्ज़ाक़ी तेरी सबके लिए
कोई धरम हो कोई हो ज़ात
वह्दहू ला शरीक लहू
अल्लाहू हक़ अल्लाहू
मेरी क्या बिसात आक़ा
कि मैं तेरी हम्द गाऊँ
तौफ़ीक़ तू ही दे दे तो
कर के कुछ दिखाऊँ
मुझे तूने ही बनाया मुझे
तू ही कुछ बना दे
तेरा हो करम तो बन के
सूरज मैं जगमगाऊँ
नज़र-ए-करम इक हो जो तेरी
मैं भी बनूँ ख़ुर्शीद
सिफ़ात
वह्दहू ला शरीक लहू
अल्लाहू हक़ अल्लाहू
हम्द – तारीफ़, सिफ़ात – विशेषताएँ, वह्दहू
ला शरीक लहू - वो अकेला है और उसका कोई शरीक नहीं, अल्लाहू
हक़ अल्लाहू – अल्लाह
ही सच्चाई है, सुर्ख़रू
– लाल चेहरे वाला, ख़ुर्शीद-ओ-माह – सूरज और चाँद, मुसव्विरी
– चित्रकारी, हयात - ज़िन्दगी, सीम-ओ-ज़र – चाँदी और सोना, तख़्त-ए-शाही - राजसिंहासन, क़ुर्बत
– नज़्दीकी, रज़ा – मर्ज़ी, इलाही – पूज्य, अक्स – परछाईं, दीद – दर्शन, आला – ऊँची, मस्कन – रहने की जगह, रज़्ज़ाक़ी – पेट भरने की सिफ़त, आक़ा
– मालिक, तौफ़ीक़ –
क्षमता, ख़ुर्शीद – सूरज
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