nae saal ki pahli ghazalतारीकी में अनवार-ए-हुदा दें तो किसे दें
तारीकी में अनवार-ए-हुदा दें तो किसे दें
हम अपने ख़यालों की ज़िया दें तो किसे दें
हर आँख पे मग़रूर शुआओं का है पर्दा
हम राह के ख़ारों का पता दें तो किसे दें
हम राह के ख़ारों का पता दें तो किसे दें
चेहरों पे कई चेहरे लगाए हैं यहाँ लोग
हैरान हैं हम, दाद-ए-जफ़ा दें तो किसे दें
हैरान हैं हम, दाद-ए-जफ़ा दें तो किसे दें
अरमानों का खूँ रंग अगर लाए तो कैसे
अरमानों का हम ख़ूनबहा दें तो किसे दें
अरमानों का हम ख़ूनबहा दें तो किसे दें
ये पेच जो रिश्तों में हैं , सुलझाए भला कौन
इस उलझे तअल्लुक़ का सिरा दें तो किसे दें
इस उलझे तअल्लुक़ का सिरा दें तो किसे दें
बेकार भला झेलेगा ख़्वाबों की चुभन कौन
ये जलता हुआ ख़्वाबनुमा दें तो किसे दें
ये जलता हुआ ख़्वाबनुमा दें तो किसे दें
रास आएगी "मुमताज़" किसे दर्द की इशरत
ज़ख्मों की ये रंगीन क़बा दें तो किसे दें
ज़ख्मों की ये रंगीन क़बा दें तो किसे दें
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