ग़ज़ल - करो कुछ तो हँसने हँसाने की बातें
वो करते रहे ज़ुल्म ढाने
की बातें वो तीर-ए-नज़र वो निशाने
की बातें
करो कुछ तो हँसने हँसाने की बातें बहुत हो गईं दिल दुखाने की बातें
ज़माना तो जीने भी देगा न हमको कहाँ तक सुनोगे ज़माने की बातें
हटाओ भी, क्या ले के बैठे हो जानम ये खोने के शिकवे, ये पाने की बातें
ये ताने, ये तिशने, ये शिकवे, ये नाले किया करते हो दिल जलाने की बातें
यहाँ कौन देता है जाँ किसकी ख़ातिर किताबी हैं ये जाँ लुटाने की बातें
चलो छोड़ो “मुमताज़” अब मान जाओ
भुला दो ये सारी भुलाने की बातें
करो कुछ तो हँसने हँसाने की बातें बहुत हो गईं दिल दुखाने की बातें
ज़माना तो जीने भी देगा न हमको कहाँ तक सुनोगे ज़माने की बातें
हटाओ भी, क्या ले के बैठे हो जानम ये खोने के शिकवे, ये पाने की बातें
ये ताने, ये तिशने, ये शिकवे, ये नाले किया करते हो दिल जलाने की बातें
यहाँ कौन देता है जाँ किसकी ख़ातिर किताबी हैं ये जाँ लुटाने की बातें
चलो छोड़ो “मुमताज़” अब मान जाओ
भुला दो ये सारी भुलाने की बातें
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