adaawat hi sahi
यास ये मेरी ज़रूरत ही सही
बेक़रारी मेरी आदत ही सही
घर से हम जैसों को निस्बत कैसी
सर पे नीली सी खुली छत ही सही
न सही वस्ल की इशरत न सही
गिरया ओ यास की लज़्ज़त ही सही
बर्क़ को ख़ैर मुबारक गुलशन
आशियाँ से हमें हिजरत ही सही
हम ने हर तौर निबाही है वफ़ा
न सही इश्क़, इबादत ही सही
राब्ता कुछ तो है लाज़िम उनसे
“कुछ नहीं है तो अदावत ही सही”
हाकिमों की है इनायत “मुमताज़”
हमको इफ़लास की इशरत ही सही
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