adaawat hi sahi

यास ये मेरी ज़रूरत ही सही
बेक़रारी मेरी आदत ही सही

घर से हम जैसों को निस्बत कैसी
सर पे नीली सी खुली छत ही सही

न सही वस्ल की इशरत न सही
गिरया ओ यास की लज़्ज़त ही सही

बर्क़ को ख़ैर मुबारक गुलशन
आशियाँ से हमें हिजरत ही सही

हम ने हर तौर निबाही है वफ़ा
न सही इश्क़, इबादत ही सही

राब्ता कुछ तो है लाज़िम उनसे
कुछ नहीं है तो अदावत ही सही

हाकिमों की है इनायत मुमताज़

हमको इफ़लास की इशरत ही सही 

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