ग़ज़ल - ज़ख़्म कुरेदा करते हैं हम भी कितने पागल हैं

ज़ख़्म कुरेदा करते हैं हम भी कितने पागल हैं
ग़म को ज़िंदा रखते हैं हम भी कितने पागल हैं
ZAKHM KUREDA KARTE HAIN HAM BHI KITNE PAAGAL HAIN
GHAM KO ZINDA RAKHTE HAIN HAM BHI KITNE PAAGAL HAIN

दिल के हर इक गोशे को रौशन यूँ कर रक्खा है
सायों से भी डरते हैं हम भी कितने पागल हैं
DIL KE HAR IK GOSHE KO ROSHAN YUN KAR RAKHA HAI
SAAYON SE AB DARTE HAIN HAM BHI KITNE PAAGAL HAIN 

जाने वाले लम्हों को अब भी ढूँढा करते हैं
उम्मीदों पर जीते हैं हम भी कितने पागल हैं
JAANE WAALE LAMHON KO AB BHI DHOONDA KARTE HAIN
UMMEEDON PAR JEETE HAIN HAM BHI KITNE PAAGAL HAIN

दिल की आह-ओ-ज़ारी को दफ़ना कर ख़ुद हँसते हैं
सच से भागा करते हैं हम भी कितने पागल हैं
DIL KI AAH O ZAARI KO DAFNAA KAR KHUD HANSTE HAIN
SACH SE BHAAGA KARTE HAIN HAM BHI  PAAGAL HAIN

हाल की चादर पर फैली बर्फ़ से खेला करते हैं
अंदर अंदर जलते हैं हम भी कितने पागल हैं
HAAL KI CHAADAR PAR PHAILI BARF SE KHELA KARTE HAIN
ANDAR ANDAR JALTE HAIN HAM BHI KITNE PAAGAL HAIN

एक सुनहरा ख़्वाब था जो जाने कब का टूट गया
अब भी उस पर मरते हैं हम भी कितने पागल हैं
EK SUNEHRA KHWAAB THA JO JAANE KAB KA TOOT GAYA
AB BHI US PAR MARTE HAIN HAM BHI KITNE PAAGAL HAIN

इस बेचैन सफ़र की वो रातें कितनी साहिर हैं
हर इक मोड पे रुकते हैं हम भी कितने पागल हैं
US BECHAIN SAFAR KI WO RAAHEN KITNI SAAHIR HAIN
HAR IK MOD PE RUKTE HAIN HAM BHI KITNE PAAGAL HAIN

बेचैनी की परतों में वक़्त अटक जब जाता है
लम्हा लम्हा गिनते हैं हम भी कितने पागल हैं
BECHAINI KI PARTON MEN WAQT ATAK JAB JAATA HAI
LAMHAA LAMHAA GINTE HAIN HAM BHI KITNE PAAGAL HAIN

उलझे रिश्तों के धागे ऐसे भी सुलझाते हैं
ख़ुद से बातें करते हैं हम भी कितने पागल हैं
ULJHE RISHTON KE DHAAGE AISE BHI SULJHAATE HAIN
KHUD SE BAATEN KARTE HAIN HAM BHI KITNE PAAGAL HAIN

हँसने की हर कोशिश में आँखें नम हो जाती हैं
ख़ुद को धोका देते हैं हम भी कितने पागल हैं
HANSNE KI HAR KOSHISH MEN AANKHEN NAM HO JAATI HAIN 
KHUD KO DHOKA DETE HAIN HAM BHI KITNE PAAGAL HAIN

सदियों से मुमताज़ यही महरूमी का शेवा है
दर्द में राहत पाते हैं हम भी कितने पागल हैं
SADIYON SE 'MUMTAZ' YAHI MEHROOMI KA SHEVAA HAI
DARD MEN RAAHAT PAATE HAIN HAM BHI KITNE PAAGAL HAIN


गोशे को कोने को, आह-ओ-ज़ारी रोना धोना, साहिर जादूगर, शेवा चलन 

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