ग़ज़ल - इसी दिल में जल्वागर हैं सभी रूह के उजाले

इसी दिल में जल्वागर हैं सभी रूह के उजाले
यहीं काबा-ए-मोहब्बत, यहीं इश्क़ के शिवाले
ISI DIL ME.N JALWAGAR HAI.N SABHI ROOH KE UJAALE
YAHI.N KAABA E MOHABBAT YAHI.N ISHQ KE SHIWAALE

कहीं क़ुर्बतों में भी है कोई फ़ासला ज़रूरी
ये मोहब्बतों की शिद्दत मुझे मार ही न डाले
KAHI.N QURBATO.N ME.N BHI HAI KOI FAASLA ZAROORI
YE MOHABBATO.N KI SHIDDAT MUJHE MAAR HI NA DAALE

जो अना की कश्मकश में मेरे साथ थे हमेशा
यहीं दिल में ख़ेमाज़न हैं उन लम्हों के रिसाले
JO ANAA KI KASH MA KASH ME.N MERE SAATH THE HAMESHA
YAHI.N DIL ME.N KHEMAZAN HAI.N UN LAMHO.N KE RISAALE

तेरी बेनियाज़ियों से ये सुरूर मर न जाए
अभी आरज़ू है बरहम उसे तू ज़रा मना ले
TERI BENIYAAZIYO.N SE YE SUROOR MAR NA JAAEY
ABHI AARZOO HAI BARHAM USE TU ZARA MANA LE

ये खंडर पड़ा है कब से वीरान कौन जाने
यहाँ हर तरफ़ लगे हैं मजबूरीयों के जाले
YE KHANDAR PADA HAI KAB SE VEERAAN KAUN JAANE
YAHA.N HAR TARAF LAGE HAI.N MAJBOORIYO.N KE JAALE

वहाँ मस्लेहत का यारो कोई दर खुले तो कैसे
जहाँ ज़ात पर पड़े हों ख़ुद्दारियों के ताले
WAHA.N MASLEHAT KA YAARO KOI DAR KHULE TO KAISE
JAHA.N ZAAT PAR PADE HO.N KHUDDAARIYO.N KE TAALE

इन्हीं दिल की वादियों में मैं भटक रही हूँ कब से
इस दश्त-ए-आरज़ू से मुझे कौन अब निकाले
INHI.N DIL KI WAADIYO.N ME.N MAI.N BHATAK RAHI HOO.N KAB SE
IS DASHT E AARZOO SE MUJHE KAUN AB NIKAALE

किया कितना साफ़ लेकिन कोई रुख़ न इसका चमका
आईना-ए-वफ़ा के सभी ज़ाविए हैं काले
KIYA KITNA SAAF LEKIN KOI RUKH NA IS KA CHAMKA
AAINA E WAFA KE SABHI ZAAVIYE HAI.N KAALE

ये जुनून की तमाज़त मुझे ख़ाक कर गई है
मेरी रूह पर पड़े हैं मेरी जुरअतों के छाले
YE JUNOON KI TAMAAZAT MUJHE KHAAK KAR GAI HAI
MERI ROOH PAR PADE HAI.N MERI JUR'ATO.N KE CHHAALE

वो ग़ुरूर, वो सियासत, वो ख़ुलूस-ओ-इन्केसारी
मुमताज़ शहर-ए-दिल के सभी ढंग हैं निराले
WO GHUROOR WO SIYAASAT WO KHULOOS O INKESAARI
'MUMTAZ' SHEHR E DIL KE SABHI DHANG HAI.N NIRAALE

जल्वागर दर्शन दे रहे हैं, क़ुर्बत नज़दीकी, शिद्दत तेज़ी, अना अहं, ख़ेमाज़न हैं तम्बू गाड़े हैं,लम्हों के रिसाले पलों की सेनाएँ, बेनियाज़ियों से लापरवाही से, सुरूर नशा, आरज़ू इच्छा, बरहम नाराज़,

दश्त-ए-आरज़ू इच्छाओं का जंगल, ज़ाविए पहलू, तमाज़त गर्मी, जुरअतों के हिम्मत के, ग़ुरूर घमंड, सियासत राजनीति, ख़ुलूस सच्चाई, इन्केसारी खाकसारी 

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