नज़्म - क्यूँ
ये कैसा दर्द है
कैसी कसक है
ये क्यूँ हर पल तेरी
यादें
मुझे बेचैन करती हैं
मेरे राहतकदे में
क्यूँ ये उलझन बढ़ती जाती
है
ये कैसा राब्ता है
तेरे एहसास का इस दर्द
से
क्यूँ चुभ रही हैं तेरी
साँसें मेरे चेहरे पर
मेरी हस्ती कहाँ गुम
होती जाती है
अना ख़ामोश क्यूँ है
ये जुनूँ को क्या हुआ
ज़िद क्यूँ हेरासां है
YE KAISA DARD HAI
KAISI KASAK HAI
YE KYUN HAR PAL
TERI YAADEN
MUJHE BECHAIN
RAKHTI HAIN
MERE RAAHATKADE
MEN
KYUN YE ULJHAN
BADHTI JAATI HAI
YE KAISA RAABTA
HAI
TERE EHSAAS KA IS
DARD SE
KYUN CHUBH RAHI
HAIN TERI SAANSEN MERE CHEHRE PAR
MERI HASTI KAHAN
GUM HOTI JAATI HAI
ANAA KHAAMOSH KYUN
HAI
YE JUNOO.N KO KYA
HUA
ZID KYUN
HERAASAA.N HAI
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