जो मुफ़्त में बंट रही हो इंग्लिश , तो क्या हलाल ओ हराम साहेब
जो मुफ़्त में बंट रही हो इंग्लिश , तो क्या हलाल ओ हराम साहेब " डटा है होटल के दर पे हर इक , हमें भी दो एक जाम साहेब " हज़ारे की बहती गंगा में अब नहा रहे बाबा राम साहेब हुआ है फैशन में मेंढकी को , नया नया ये ज़ुकाम साहेब बरहना होने का कॉमपेटीशन ये दिलरुबाई के फ़ॉर्मूले जवान शीला हुई है जब तो है मुन्नी भी पक्का आम साहब कहीं निगाहें , कहीं निशाना अगर है तो ये सितम भी होगा नज़र में भर कर हसीन जलवा , गिरे ज़मीं पर धडाम साहेब सितम ये महंगाई का तो देखो , कि रोटी भी अब है मन्न ओ सलवा यहाँ पे बस आदमी की क़ीमत हुई है आधी छदाम साहेब है मुफ़्त में दस्तयाब सब तो फ़िज़ूल तकलीफ़ क्यूँ उठाओ चुरा के अशआर नाम कर लो , उडाओ माल ए हराम साहेब बुलंद ' मुमताज़ ' है वही जो लगाए जितना बटर ज़ियादा निपोर कर चार