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ham se mat kijiye dushmanon ka gila

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nae saal ki pahli ghazalतारीकी में अनवार-ए-हुदा दें तो किसे दें

तारीकी में अनवार-ए-हुदा दें तो किसे दें हम अपने ख़यालों की ज़िया दें तो किसे दें हर आँख पे मग़रूर शुआओं का है पर्दा हम राह के ख़ारों का पता दें तो किसे दें चेहरों पे कई चेहरे लगाए हैं यहाँ लोग हैरान हैं हम, दाद-ए-जफ़ा दें तो किसे दें अरमानों का खूँ रंग अगर लाए तो कैसे अरमानों का हम ख़ूनबहा दें तो किसे दें ये पेच जो रिश्तों में हैं , सुलझाए भला कौन इस उलझे तअल्लुक़ का सिरा दें तो किसे दें बेकार भला झेलेगा ख़्वाबों की चुभन कौन ये जलता हुआ ख़्वाबनुमा दें तो किसे दें रास आएगी "मुमताज़" किसे दर्द की इशरत ज़ख्मों की ये रंगीन क़बा दें तो किसे दें

adaawat hi sahi

यास ये मेरी ज़रूरत ही सही बेक़रारी मेरी आदत ही सही घर से हम जैसों को निस्बत कैसी सर पे नीली सी खुली छत ही सही न सही वस्ल की इशरत न सही गिरया ओ यास की लज़्ज़त ही सही बर्क़ को ख़ैर मुबारक गुलशन आशियाँ से हमें हिजरत ही सही हम ने हर तौर निबाही है वफ़ा न सही इश्क़ , इबादत ही सही राब्ता कुछ तो है लाज़िम उनसे “ कुछ नहीं है तो अदावत ही सही ” हाकिमों की है इनायत “ मुमताज़ ” हमको इफ़लास की इशरत ही सही 

Har taraf shor hai har taraf hai fughaan

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baaton men sau sau khwaab saje the

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Mere bete Mujtaba ka ye gaana kal release hua. Doston se duaaon ki darkhwaast hai.

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Rehmat barse hai by Mujtaba Aziz Naza

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