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वो दिन याद करो (WO DIN YAAD KARO)

ग़म-ए-दुनिया के हर इक काम से मोहलत ले कर कभी फ़ुरसत में जो बैठो तो वो दिन याद करो GHAM E DUNIYA KE HAR IK KAAM SE MOHLAT LE KAR KABHI FURSAT MEN JO BAITHO TO WO DIN YAAD KARO वो लड़कपन का ज़माना, वो सहेली, साथी साथ मिल कर जो बुझाई वो पहेली साथी कितने मासूम थे दिन, कितने सुनहरे सपने छोटी छोटी सी ख़ुशी, छोटे से ग़म थे अपने वो खिलौनों की क़तारें, वो हर इक बात में खेल वो ज़रा देर में लड़ना, वो ज़रा देर में मेल WO LADAKPAN KA ZAMANA WO SAHELI SAATHI SAATH MIL KAR JO BUJHAAI WO PAHELI SAATHI KITNE MAASOOM THE DIN KITNE SUNAHRE SAPNE CHHOTI CHHOTI SI KHUSHI CHHOTE SE GHAM THE APNE WO KHILONON KI QATAAREN WO HAR IK BAAT MEN KHEL WO ZARA DER MEN LADNA WO ZARA DER MEN MEL रतजगे गर्म सी रातों के, वो छत का बिस्तर छेड़ देना वो तेरा तार-ए-मोहब्बत अक्सर कभी रंगीन इशारे तो कभी सरगोशी कभी जलती हुई ख़्वाहिश वो कभी मदहोशी RATJAGE GARM SI RAATON KE WO CHHAT KA BISTAR CHHED DENA WO TERA TAAR E MOHABBAT AKSAR KABHI RANGEEN ISHAARE WO KABHI SARGOSHI KABHI JALTI HUI KHWAAHISH WO KABHI MADHOSH

GHAZAL-4

DIL KE SAB RAAZ ZAMANE PE AYAAN KAR JAAEN KAM NA HO JAAE KHUSHI AAJ CHALO MAR JAAEN DAR BA DAR HO KE BHI HAM KO KAHIN RAAHAT NA MILI DIL TO YE KARTA HAI PHIR US KE HI DAR PAR JAAEN APNI AAWARA MIZAAJI BHI CHALO HAAR GAI WAHSHATEN KEHTI HAIN IK BAAR ZARA GHAR JAAEN AB SAMBHAALENGE KAHAN DAULAT E BARBAADI E DIL AB AGAR JAAEN TO IS SHEHR SE LUT KAR JAAEN IS UJAALE SE TO BEENAAI BHI ZAKHMEE HO JAAE HAM AGAR APNE ANDHERE SE JO BAAHAR JAAEN CHHEDTE RAHTE HAIN HAM YAADON KE NASHTAR SE KE YE ZAKHM KUCHH AUR KHILEN YE NA KAHIN BHAR JAAEN JAB GUNAHGAAR HI AADIL HO TO PHIR KYA KAHIYE SAARE ILZAAM SABHI JURM MERE SAR JAAEN SAANS LENA BHI HUA JURM KE 'MUMTAZ' CHALO MASLEHAT KA YE TAQAAZA HAI KE AB MAR JAAEN

औरत की कहानी (WOMEN'S DAY PAR......................)

कभी ग़ैरों ने लूटा है , कभी अपनी ही ग़ैरत ने ये औरत की कहानी खून से लिक्खी है क़ुदरत ने ये वो औरत , के जिस के दम से दुनिया है , ज़माना है ये वो औरत , कि जिस ने प्यार का बाँटा ख़ज़ाना है कभी माँ बन के आँचल में जो बेटों को छुपाती है मगर वो कोख में ही क़त्ल फिर भी कर दी जाती है बहन बन कर दुआएं मांगती है भाई की ख़ातिर बहन वो बेच दी जाती है पाई पाई की ख़ातिर मोहब्बत के सिले में कैसे ये इनआम देते हैं हैं कैसे भाई , जो बहनों की इज्ज़त लूट लेते हैं निगाहों की चुभन , हैवानियत , और आबरू रेज़ी जिगर पर मर्द की फ़िरऔनियत की बर्क़ अंगेज़ी बदन की धज्जियाँ उडती हैं तो दिल खून रोता है यहाँ निस्वानियत का बस यही अंजाम होता है सफ़र करती है हर दम तेज़ तलवारों के धारे पर है इस का हर क़दम माँ , बाप , भाई के इशारे पर कि इस के वास्ते आसाँ नहीं है अश्क पीना भी मोहब्बत जुर्म , औरत के लिए है जुर्म जीना भी अगर ये सर झुका कर सब सहन कर ले , तो देवी है ज़रा सी आह भी कर दे , तो ये शैताँ की बेटी है न जिस का अपना हँसना है , न जिस का अपना रोना है ये मर्दों के बनाए इस जहाँ में इक खिलौना

ग़ज़ल - ये बाब-ए-राज़-ए-उल्फ़त है

ये बाब-ए-राज़-ए-उल्फ़त है, ये खुलवाया नहीं जाता मोअम्मा अब किसी सूरत ये सुलझाया नहीं जाता YE BAAB E RAAZ E ULFAT HAI YE KHULWAAYA NAHIN JAATA MOAMMA AB KISI SOORAT YE SULJHAYA NAHIN JAATA मोहब्बत की नहीं जाती मोहब्बत हो ही जाती है कि दानिस्ता तो ये धोखा कभी खाया नहीं जाता MOHABBAT KI NAHIN JAATI MOHABBAT HO HI JAATI HAI KE DAANISTA TO YE DHOKA KABHI KHAYA NAHIN JAATA न जाने कैसी उलझन में हमें उलझा दिया उसने करें क्या, ये भी अब उससे तो फ़रमाया नहीं जाता NA JAANE KAISI ULJHAN MEN HAMEN ULJHA DIYA US NE KAREN KYA YE BHI AB US SE TO FARMAAYA NAHIN JATA मुसीबत, यास, रंज-ओ-ग़म, अताएँ बेबहा उसकी ये उसका बेकरां एहसाँ तो गिनवाया नहीं जाता ALAM RANJ O MUSEEBAT GHAM ATAAEN BEBAHA US KI KE AB YE BEKARAAN EHSAAN TO GINWAAYA NAHIN JAATA ये उसपे मुनहसिर है अब, समझ ले, गर समझ पाए अब अपना हाल-ए-दिल हम से तो बतलाया नहीं जाता YE US PE MUNHASIR HAI AB SAMAJH LE GAR SAMAJH PAAE AB APNA HAAL E DIL HAM SE TO BATLAAYA NAHIN JAATA ये दर्द-ओ-यास की दौलत हर इक दिल को नहीं मिलती हर इक बतन-

ग़ज़ल - कभी तक़दीर ने लूटा, कभी वहशत ने ठुकराया

कभी तक़दीर ने लूटा, कभी वहशत ने ठुकराया हज़ारों कोशिशें कर लीं हमें जीना न रास आया KABHI TAQDEER NE LOOTA KABHI WAHSHAT NE THUKRAAYA HAZAARON KOSHISHEN KAR LEEN HAMEN JEENA NA RAAS AAYA वही, जिसके लिए हमने वजूद अपना मिटा डाला उसी ने दर्द-ए-लाफ़ानी का तोहफ़ा हमको लौटाया WAHI JIS KE LIYE HAM NE WAJOOD APNA MITA DAALAA USI NE DARD E LAAFAANI KA TOHFAA HAM KO LAUTAAYA खड़े हैं दर्द के साहिल पे और ये सोचते हैं हम सफ़र का शौक़ किस मंज़िल पे हमको आज ले आया KHADE HAIN DARD KE SAAHIL PE AUR YE SOCHTE HAIN HAM SAFAR KA SHAUQ KIS MANZIL PE HAM KO AAJ LE AAYA चली पुरवाई तो दिल की सभी चोटें उभर आईं मगर इक याद ने दिल के सभी छालों को सहलाया CHALI PURWAAI TO DIL KI SABHI CHOTEN UBHAR AAIN MAGAR IK YAAD NE DIL KE SABHI CHHAALON KO SAHLAAYA हद-ए-बीनाई तक तन्हाई है, वहशत है, ज़ुल्मत है मोहब्बत ने हमें ये आज किस मंज़िल पे पहुंचाया HAD E BEENAAI TAK TANHAAI HAI WAHSHAT HAI ZULMAT HAI MOHABBAT NE HAMEN YE AAJ KIS MANZIL PE PAHUNCHAAYA ये आलम नफ़्सा-नफ़्सी का, मसाइल अपने काफ़ी हैं ये सोचे कौन ऐ

ग़ज़ल - जब निगाहों में कोई मंज़र पुराना आ गया

जब निगाहों में कोई मंज़र पुराना आ गया याद हमको भूला बिसरा हर फ़साना आ गया JAB NIGAAHON MEN KOI MANZAR PURAANA AA GAYA YAAD HAM KO BHOOLA BISRA HAR FASAANA AA GAYA अक़्ल दुनिया के चलन से आशना होने को थी ज़ेहन में फिर वो ख़याल-ए-अहमक़ाना आ गया AQL DUNIYA KE CHALAN SE AASHNA HONE KO THI ZAHN MEN PHIR WO KHAYAAL-E-AHMAQAANA AA GAYA बात थी मेहर-ओ-वफ़ा की और निशाने पर थे हम हम को तोहमत से बचाने इक बहाना आ गया BAAT THI MEHR-O-WAFAA KI AUR NISHANE PAR THE HAM HAM KO TOHMAT SE BACHAANE IK BAHAANA AA GAYA मुद्दतों सहरा नवर्दी से अभी लौटे थे हम रास्ते में फिर तुम्हारा आस्ताना आ गया MUDDATON SEHRAA NAWARDI SE ABHI LAUTE THE HAM RAASTE MEN PHIR TUMHARA AASTAANA AA GAYA बाहमी नाइत्तेफ़ाक़ी मिट ही जाती आख़िरश दर्मियाँ अपने ये बेग़ैरत ज़माना आ गया BAAHAMI NAAITTEFAAQI MIT HI JAATI AAKHIRASH DARMIYAAN APNE YE BE GHAIRAT ZAMAANA AA GAYA आज फिर परवाज़ की ताब-ओ-तवाँ जाती रही भूक हावी है, ख़याल-ए-आब-ओ-दाना आ गया AAJ PHIR PARWAAZ KI TAAB-O-TAWAAN JAATI RAHI BHOOK HAAWI HAI KHAYAAL-E-AAB-O-DAA

हम्द (hamd) मेरे अश्कों से उलझती रहे आक़ाई तेरी

मेरे अश्कों से उलझती रहे आक़ाई तेरी मैं किसी और से माँगूँ तो है रुस्वाई तेरी mere ashkon se ulajhti rahe aaqaai teri main kisi aur se maangun to hai ruswaai teri फूल में, कलियों में, ख़ुर्शीद-ओ-क़मर में, हर सू ज़र्रे ज़र्रे में महक मुझको नज़र आई तेरी phool men kaliyon men khursheed-o-qamar men har soo zarre zarre men jhalak mujh ko nazar aai teri बन के तूफ़ान समंदर से चला क़हर तेरा बाइस-ए-रक़्स-ए-ज़मीं बन गई अंगड़ाई तेरी ban ke toofaan samandar se chala qahr tera baais-e-raqs-e-zameen ban gai angdaai teri धड़कनें होती हैं हर पल तेरे जल्वों पे निसार एक इक शय में नज़र आती है रानाई तेरी dhadkanen hoti hain har pal tere jalwon pe nisaar ek ik shay men nazar aati hai raanaai teri रूह बीमार है, दिल नालाँ है, बदज़न है ख़याल कैसी मंज़िल पे मुझे जुस्तजू ले आई तेरी rooh beemaar hai dil naalaan hai badzan hai khayaal kaisi manzil pe mujhe justju le aai teri हर तसव्वर से, तफ़क्कुर से, तजस्सुस से परे जुस्तजू थक गई, मिलती नहीं गहराई तेरी har tasawwar se tafakkur se tajassus se pare justj